णाणेण झाणसिद्धी झाणादो सव्वकम्मणिज्जरणं ।
णिज्ज्रणफलं मोक्खं णाणब्भासं तदो कुज्ज ॥150॥
ज्ञानेन ध्यानसिद्धि:, ध्यानात् सर्वकर्मनिर्जरणम् ।
निर्जरणफलं मोक्ष:, ज्ञानाभ्यासं तत: कुर्यात् ॥
अन्वयार्थ : ज्ञान से ध्यान की सिद्धि होती है, और ध्यान से समस्त कर्मों कीनिर्जरा होती है । निर्जरा का फल मोक्ष है, इसलिए ज्ञान का अभ्यास करना चाहिए ॥150॥