पवयणसारब्भासं परमप्पज्झाणकारणं जाण ।
कम्मक्खवणणिमित्तं कम्मक्खवणे हि मोक्खसुहं ॥162॥
प्रवचनसाराभ्यासं परमात्म-ध्यानकारणं जानीहि ।
कर्मक्षपणनिमित्तं कर्मक्षपणे हि मोक्षसुखम् ॥
अन्वयार्थ : प्रवचन-सार (शुद्धात्म-स्वरूप) का अभ्यास परमात्मा के ध्यान काकारण है । ऐसा जानें । वह (ध्यान) कर्म-क्षय का कारण है और कर्म-क्षय होने पर निश्चितरूप से मोक्ष-सुख मिलता है ॥162॥