बोधिनी :
कर्ममलपटलशक्ति: प्रतिसमयनंतगुणविहीनक्रमा;;भूत्वा उदीर्यते यदा तदा क्षयोपशमलब्धिस्तु ॥४॥
क्षयोपशम लब्धि -- पूर्व संचित कर्मों के अशुभ कर्मपटल के / अप्रशस्त (पाप) ज्ञानवरणीय आदि कर्मों के अनुभाग स्पर्धक का प्रति समय विशुद्धि द्वारा अनन्तगुणे हीनता सहित झरना अर्थात उदीरणा के होना, वाले समय में क्षयोपशम लब्धि होती है । (सन्दर्भ-धवला जी पुष्प ६,पृ-२०४)
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