पल्लस्स संखभागं मुहूत्तअंतेण ओसरदि बंधे ॥
संखेज्जसहस्साणि य अधापवत्तम्मि ओसरणा ॥39॥
अन्वयार्थ : अध:करण के प्रथम समय से, [मुहूत्तअंतेण] अन्तर्मुर्हूत अंतराल से [पल्लस्स] पल्य का [संखभागं] संख्यात्वां भाग [ओसरदि] घटता हुआ [बंधे] स्थिति-बंध होता रहता है । [य अधापवत्तम्मि] अध:प्रवृत्त करण काल में [संखेज्जसहस्साणि] संख्यात हज़ार [ओसरणा] स्थिति-बन्धापसरण होते रहते हैं ।
बोधिनी
बोधिनी : पल्यस्य संख्यभागं मुहूतोरारेण अपसरति बंधे;;संख्येयसहस्राणि च अध:प्रवृत्ते अपसरणानि ॥३९॥
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