जीवतत्त्वप्रदीपिका : आगे इन पांच के उदाहरण कहते हैं --
ये उपलक्षणपने से कहे हैं । एक का नाम लेने पर अन्य का भी ग्रहण करना इसलिये ऐसे कहना -
- बुद्धदर्शी जो बौद्धमती उसको आदि रखकर एकांत मिथ्यादृष्टि हैं ।
- पुनश्च यज्ञकर्ता ब्राह्मण आदि विपरीत मिथ्यादृष्टि हैं ।
- पुनश्च तापसी आदि विनय मिथ्यादृष्टि हैं ।
- पुनश्च इन्द्र नामक जो श्वेतांबरों का गुरु उसको आदि रखकर संशय मिथ्यादृष्टि हैं ।
- पुनश्च मस्करी (मुसलमान) सन्यासी को आदि रखकर अज्ञान मिथ्यादृष्टि हैं ।
वर्तमान काल की अपेक्षा से ये भरतक्षेत्र में विद्यमान बौद्धमती आदि उदाहरण कहे हैं ।