+ सासादन का उदाहरण -
सम्मत्तरयणपव्वयसिहरादो मिच्छभूमिसमभिमुहो
णासियसम्मत्तो सो, सासणणामो मुणेयव्वो ॥20॥
सम्यक्त्वरत्नपर्वतशिखरात् मिथ्यात्वभूमिसमभिमुखः ।
नाशितसम्यक्त्वः सः सासननामा मंतव्यः ॥२०॥
अन्वयार्थ : सम्यक्त्वरूपी रत्न-पर्वत के शिखर से गिरकर जो जीव मिथ्यात्व-रूपी भूमि के सम्मुख हो चुका है, अतएव जिसने सम्यक्त्व की विराधना (नाश) कर दी है, और मिथ्यात्व को प्राप्त नहीं किया है, उसको सासन या सासादन गुणस्थानवर्ती कहते हैं ।

  जीवतत्त्वप्रदीपिका 

जीवतत्त्वप्रदीपिका :

जो जीव सम्यक्त्व परिणामरूपी रत्नमय पर्वत के शिखर से मिथ्यात्व-परिणामरूपी भूमि के सन्मुख होता हुआ, गिर कर जितना अंतराल का काल एक समय आदि छह आवली पर्यंत है, उसमें वर्तता है, वह जीव नष्ट किया है सम्यक्त्व जिसने, ऐसा सासादन नाम धारक जानना ।