जीवतत्त्वप्रदीपिका :
सम्यक्त्वपरिणाम और मिथ्यात्वपरिणाम इन दोनों में से जिस परिणाम में पुरा अर्थात् सम्यग्मिथ्यादृष्टिपने को प्राप्त होने से पहले, परभव की आयु बांधी होगी, उस सम्यक्त्वरूप वा मिथ्यात्वरूप परिणाम को प्राप्त होकर ही जीव का मरण होता है, ऐसा नियम कहते हैं । पुनश्च अन्य कई आचार्य के अभिप्राय से यह नियम नहीं है । वही कहते हैं - सम्यक्त्व-परिणाम में वर्तमान कोई जीव यथायोग्य परभव की आयु को बांधकर पुनश्च सम्यग्मिथ्यादृष्टि होकर पश्चात् सम्यक्त्व को या मिथ्यात्व को प्राप्त होकर मरता है । पुनश्च कोई जीव मिथ्यात्व परिणाम में वर्तान, वह यथायोग्य परभव की आयु बांधकर, पुनश्च सम्यग्मिथ्यादृष्टि होकर पश्चात् सम्यक्त्व या मिथ्यात्व को प्राप्त होकर मरता है । पुनश्च उसीप्रकार मारणांतिक समुद्घात भी मिश्र-गुणस्थान में नहीं होता । |