+ पूर्व और अपूर्व स्पर्धक में अंतर -
अणुलोहं वेदंतो, जीवो उवसामगो व खवगो वा
सो सुहमसांपराओ, जहखादेणूणओ किं चि ॥60॥
अन्वयार्थ : चाहे उपशम श्रेणी का आरोहण करनेवाला हो अथवा क्षपकश्रेणी का आरोहण करने वाला हो, परन्तु जो जीव सूक्ष्म-लोभ के उदय का अनुभव कर रहा है, ऐसा दशवें गुणस्थान वाला जीव यथाख्यात चारित्र से कुछ ही न्यून रहता है ।

  जीवतत्त्वप्रदीपिका