ठाणेहिं वि जोणीहिं वि, देहोग्गाहणकुलाण भेदेहिं।
जीवसमासा सव्वे, परूविदव्वा जहाकमसो॥74॥
अन्वयार्थ : स्थान, योनि, शरीर की अवगाहना और कुलों के भेद इन चार अधिकारों के द्वारा सम्पूर्ण जीवसमासों का क्रम से निरूपण करना चाहिये ॥74॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका 




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