
सामण्णजीव तसथावरेसु इगिविगलसयलचरिमदुगे।
इंदियकाये चरिमस्स य दुतिचदुरपणगभेदजुदे॥75॥
अन्वयार्थ : सामान्य से जीव का एक ही भेद है। त्रस और स्थावर अपेक्षा से दो भेद, एकेन्द्रिय विकलेन्द्रिय एवं सकलेन्द्रिय की अपेक्षा तीन भेद; पंचेन्द्रिय के दो भेद करने पर एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, संज्ञी, असंज्ञी इस तरह चार भेद होते हैं। पाँच इन्द्रियों की अपेक्षा पाँच भेद हैं। षट्काय की अपेक्षा छह भेद हैं। पाँच स्थावरों में त्रस के विकल और सकल मिलाने पर सात भेद तथा विकल, असंज्ञी, संज्ञी मिलाने से आठ भेद तथा द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय तथा पंचेन्द्रिय मिलाने पर नव भेद तथा द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, असंज्ञी, संज्ञी मिलाने से दश भेद होते हैं ॥75॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका