इगिवण्णं इगिविगले, असण्णिसण्णिगयजलथलखगाणं।
गब्भभवे सम्मुच्छे, दुतिगं भोगथलखेचरे दो दो॥79॥
अन्वयार्थ : तिर्यग्गति में एकेन्द्रिय एवं विकलेन्द्रिय संबंधी 51 भेद हैं। कर्मभूमिया गर्भज तिर्यंचों में जलचर, थलचर तथा नभचर सैनी एवं असैनी के पर्याप्त, निर्वृत्त्यपर्याप्त अपेक्षा 12 भेद तथा सम्मूर्च्छन तिर्यंचों में लब्ध्यपर्याप्तक भी होने से 18 भेद, इसप्रकार पंचेन्द्रिय कर्मभूमिज तिर्यंचों के 30 भेद होते हैं। भोगभूमिया थलचर एवं नभचर तिर्यंचों के पर्याप्त एवं निर्वृत्त्यपर्याप्त की अपेक्षा 4 भेद होते हैं। इसप्रकार तिर्यग्गति संबंधी कुल 85 भेद होते हैं। भोगभूमि में जलचर, सम्मूर्च्छन तथा असंज्ञी जीव नहीं होते हैं ॥79॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका