कुम्मुण्णयजोणीये, तित्थयरा दुविहचक्कव ट्टी य।
रामा वि य जायंते, सेसाए सेसगजणो दु॥82॥
अन्वयार्थ : कूर्मोन्नतयोनि में तीर्थंकर वा सकलचक्रवर्ती वा अर्धचक्रवर्ती, नारायण, प्रतिनारायण वा बलभद्र उपजता है। अपि शब्द से अन्य कोई नहीं उपजता। पुनश्च अवशेष वंशपत्रयोनि में अवशेष जन उपजते हैं, तीर्थंकरादि नहीं उपजते ॥82॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका