
गब्भजजीवाणं पुण, मिस्सं णियमेण होदि जोणी हु।
सम्मुच्छणपंच्नखे, वियलं वा विउलजोणी हु॥87॥
अन्वयार्थ : गर्भज जीवों की योनि नियम से मिश्र - संवृत-विवृत की अपेक्षा मिश्रित ही होती है। पंचेन्द्रिय सम्मूर्छन जीवों की विकलेन्द्रियों की तरह विवृतयोनि ही होती है ॥87॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका