सामण्णेण य एवं, णव जोणीओ हवंति वित्थारे।
ल्नखाण चदुरसीदी, जोणीओ होंति णियमेण॥88॥
अन्वयार्थ : पूर्वोक्त क्रमानुसार सामान्य से योनियों के नियम से नव ही भेद होते हैं। विस्तार की अपेक्षा इनके चौरासी लाख भेद होते हैं ॥88॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका