सीदी सट्ठी तालं, वियले चउवीस होंति पंच्नखे।
छावट्ठिं च सहस्सा, सयं च बत्तीसमेय्नखे॥124॥
अन्वयार्थ : विकलेन्द्रियों में द्वीन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक के 80 भव, त्रीन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक के 60, चतुरिन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक के 40 और पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तक के 24 तथा एकेन्द्रियों के 66132 भवों को धारण कर सकता है, अधिक को नहीं ॥124॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका