पंच वि इंदियपाणा, मणवचिकायेसु तिण्णि बलपाणा।
आणापाणप्पाणा, आउगपाणेण होंति दस पाणा॥130॥
अन्वयार्थ : पाँच इन्द्रियप्राण - स्पर्शन, रसन, घ्राण, चक्षु, श्रोत्र। तीन बलप्राण - मनोबल, वचनबल, कायबल। एक श्वासोच्छ्वास तथा एक आयु इसप्रकार ये दश प्राण हैं ॥130॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका