जीवतत्त्वप्रदीपिका
गइइंदियेसु काये, जोगे वेदे कसायणाणे य।
संजमदंसणलेस्सा, भवियासम्त्तसण्णि आहारे॥142॥
अन्वयार्थ :
गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञान, संयम, दर्शन, लेश्या, भव्यत्व, सम्य्नत्व, संज्ञी, आहार ये चौदह मार्गणा हैं ॥142॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका