उवसम सुहमाहारे, वेगुव्वियमिस्स णरअपज्जत्ते।
सासणसम्मे मिस्से, सांतरगा मग्गणा अट्ठ॥143॥
अन्वयार्थ : उपशम सम्यक्त्व, सूक्ष्मसांपराय संयम, आहारक काययोग, आहारकमिश्रकाययोग, वैक्रियिक मिश्रकाययोग, अपर्याप्त-लब्ध्यपर्याप्त मनुष्य, सासादन सम्य्नत्व और मिश्र, ये आठ सान्तरमार्गणाएँ हैं ॥143॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका