सत्त दिणा छम्मासा, वासपुधत्तं च बारस मुहुत्ता।
पल्लासंखं तिण्हं, वरमवरं एगसमयो दु॥144॥
अन्वयार्थ : उक्त आठ अन्तरमार्गणाओं का उत्कृष्ट काल क्रम से सात दिन, छ: महीना, पृथक्त्व वर्ष, पृथक्त्व वर्ष, बारह मुहर्त और अन्त की तीन मार्गणाओं का काल पल्य के असंख्यातवें भाग है। और जघन्य काल सबका एक समय है ॥144॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका