सुहमणिगोदअपज्जत्तयस्स जादस्स तदियसमयम्हि।
अंगुलअसंखभागं जहण्णमुक्कस्सयं मच्छे॥173॥
अन्वयार्थ : स्पर्शनेन्द्रिय की जघन्य अवगाहना घनांगुल के असंख्यातवें भागप्रमाण है और यह अवगाहना सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यपर्याप्तक के उत्पन्न होने के तीसरे समय में होती है। उत्कृष्ट अवगाहना महामत्स्य के होती है, इसका प्रमाण संख्यात घनांगुल है ॥173॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका