जाईअविणाभावी, तसथावरउदयजो हवे काओ।
सो जिणमदम्हि भणिओ, पुढवीकायादिछब्भेयो॥181॥
अन्वयार्थ : जाति नामकर्म के अविनाभावी त्रस और स्थावर नामकर्म के उदय से होने वाली आत्मा की पर्याय को जिनमत में काय कहते हैं। इसके छह भेद हैं । पृथिवी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति और त्रस ॥181॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका