बादरसुहुमुदयेण य, बादरसुहुमा हवंति तद्देहा।
घादसरीरं थूलं, आघाददेहं हवे सुहुमं॥183॥
अन्वयार्थ : बादर नामकर्म के उदय से बादर और सूक्ष्म नामकर्म के उदय से सूक्ष्म शरीर हुआ करता है। जो शरीर दसरे को रोकने वाला हो अथवा जो स्वयं दसरे से रुके उसको बादर-स्थूल कहते हैं। और जो दसरे को न तो रोके और न स्वयं दसरे से रुके उसको सूक्ष्म शरीर कहते हैं ॥183॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका