तद्देहमंगुलस्स, असंखभागस्स विंदमाणं तु।
आधारे थूला ओ, सव्वत्थ णिरंतरा सुहुमा॥184॥
अन्वयार्थ : बादर और सूक्ष्म दोनों ही तरह के शरीरों का प्रमाण घनांगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। इनमें से स्थूल शरीर आधार की अपेक्षा रखता है। किन्तु सूक्ष्म शरीर बिना अन्तरव्यवधान के ही सब जगह अनंतानन्त भरे हुए हैं। उनको आधार की अपेक्षा नहीं रहा करती ॥184॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका