
मूलग्गपोरबीजा, कंदा तह खंदबीज बीजरुहा।
सम्मुच्छिमा य भणिया, पत्तेयाणंतकाया य॥186॥
अन्वयार्थ : जिन वनस्पतियों का बीज मूल, अग्र, पर्व, कन्द या स्कन्ध है; अथवा जो बीज से उत्पन्न होती हैं; अथवा जो सम्मूर्च्छन हैं - वे सभी वनस्पतियाँ सप्रतिष्ठित तथा अप्रतिष्ठित दोनों प्रकार की होती हैं ॥186॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका