
मसुरंबुबिंसूई, कलावधयसण्णिहो हवे देहो।
पुढवीआदिचउण्हं, तरुतसकाया अणेयविहा॥201॥
अन्वयार्थ : मसूर , जल की बिन्दु, सुइयों का समूह, ध्वजा, इनके सदृश क्रम से पृथिवी,अप्, तेज, वायुकायिक जीवों का शरीर होता है और वनस्पति तथा त्रसों का शरीर अनेक प्रकार का होता है ॥201॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका