जीवतत्त्वप्रदीपिका
साहरणबादरेसु असंखं भागं असंखगा भागा।
पुण्णाणमपुण्णाणं, परिमाणं होदि अणुकमसो॥211॥
अन्वयार्थ :
साधारण बादर वनस्पतिकायिक जीवों का जो प्रमाण बताया है उसके असंख्यात भागों में से एक भागप्रमाण पर्याप्त और बहुभागप्रमाण अपर्याप्त हैं ॥211॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका