+ आठों कर्मों के उत्तर भेदों की संख्या -
पंच णव दोण्णि अट्ठा-वीसं चउरो कमेण तेणउदी ।
तेउत्तरं सयं वा, दुगपणगं उत्तरा होंति ॥22॥
अन्वयार्थ : [पंच णव दोण्णि अट्ठा-वीसं] पाँच, नौ, दो, अट्ठाइस [चउरो कमेण तेणउदी तेउत्तरं सयं वा] चार, तिरानवे अथवा एक सौ तीन, [दुगपणगं] दो और पाँच [उत्तरा] उत्तर प्रकृतियाँ [होंति] होतीं हैं ॥२२॥