कदलीघादसमेदं, चागविहीणं तु चइदमिदि होदि ।
घादेण अघादेण व, पडिदं चागेण चत्तमिदि ॥58॥
अन्वयार्थ : जो ज्ञायक का भूत शरीर कदलीघातसहित नष्ट हो गया हो परंतु संन्यास विधि से रहित हो उसे च्यावितशरीर कहते हैं और जो कदलीघातसहित अथवा कदलीघात के बिना संन्यासस्वरूप परिणामों से शरीर छोड़ दिया हो उसे त्‍यक्त कहते हैं ॥५८॥