भत्तपइण्णाइविहि, जहण्णमंतोमुहुत्तयं होदि ।
बारसवरिसा जेट्ठा, तम्मज्झे होदि मज्झिमया ॥60॥
अन्वयार्थ : भक्तप्रतिज्ञा अर्थात् भोजन की प्रतिज्ञा कर जो संन्यासमरण हो उसके काल का प्रमाण जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट बारह वर्ष प्रमाण है तथा मध्य के भेदों का काल एक-एक समय बढ़ता हुआ है । उसका अंतर्मुहूर्त से ऊपर और बारह वर्ष के भीतर जितने भेद हैं उतना प्रमाण समझना ॥६०॥