
कम्मद्दव्वादण्णं, दव्वं णोकम्मदव्वमिदि होदि ।
भावे कम्मं दुविहं, आगमणोआगमंति हवे ॥64॥
अन्वयार्थ : कर्ममलरूप द्रव्य से भिन्न जो द्रव्य है वह नोकर्म-तद्व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यकर्म है । और भावनिक्षेपस्वरूप कर्म आगम तथा नोआगम के भेद से दो प्रकार का होता है ॥६४॥