
पडविसयपहुदि दव्वं, मदिसुदवाघादकरणसंजुत्तं ।
मदिसुदबोहाणं पुण, णोकम्मं दवियकम्मं तु ॥70॥
अन्वयार्थ : वस्तुस्वरूप के ढांकने वाले वस्त्र आदि पदार्थ मतिज्ञानावरण के नोकर्म द्रव्यकर्म हैं । और इन्द्रियों के रूपादिक विषय श्रुतज्ञान को नहीं होने देते इस कारण वे श्रुतज्ञानावरण कर्म के नोकर्म हैं ॥७०॥