पंचण्हं णिद्दाणं, माहिसदहिपहुदि होदि णोकम्मं ।
वाघादकरपडादी, चक्खुअचक्‍खूण णोकम्मं ॥72॥
अन्वयार्थ : पाँच निद्राओं के नोकर्म भैंस का दही, लहसन, खली इत्यादिक हैं क्योंकि ये निद्रा की अधिकता करने वाली वस्‍तुएँ हैं । चक्षु तथा अचक्षुदर्शन के रोकने वाले वस्‍त्र आदि द्रव्‍य चक्षुदर्शनावरण और अचक्षुदर्शनावरण कर्म के नोकर्म हैं ॥७२॥