
ओरालियवेगुव्विय आहारयतेजकम्मणोकम्मं ।
ताणुदयजचउदेहा, कम्मे विस्संचयं णियमा ॥81॥
अन्वयार्थ : औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस शरीरनामकर्म का नोकर्मद्रव्य अपने-अपने उदय से प्राप्त हुई शरीरवर्गणा हैं क्योंकि उन वर्गणाओं से ही शरीर बनता है । और कार्मणशरीर का नोकर्मद्रव्य विस्रसोपचयरूप परमाणु हैं ॥८१॥