
तिय उणवीसं छत्तिय-तालं तेवण्ण सत्तवण्णं च ।
इगिदुगसट्ठी बिरहिय, तियसय उणवीससय त्ति वीससयं ॥104॥
अन्वयार्थ : मिथ्यादृष्टि आदिक चौदह गुणस्थानों में क्रम से 3, 19, 46, 43, 53, 57, 61, 62, दो रहित सौ , तीन सहित सौ , 119 तीन जगह और चौदहवें में 120 प्रकृतियों का अबंध है ॥१०४॥