+ अजघन्यादि स्थिति के भेदों में सादि आदि भेद -
अजहण्णट्ठिदिबंधो चउव्विहो सत्तमूलपयडीणं ।
सेसतिये दुवियप्पो आउचउक्केवि दुवियप्पो ॥152॥
संजलणसुहुमचोद्दस-घादीणं चदुविधो दु अजहण्णो ।
सेसतिया पुण दुविहा सेसाणं चदुविधावि दुधा ॥153॥
अन्वयार्थ : आयु के बिना सात मूल प्रकृतियों का अजघन्य स्थितिबंध सादि आदि के भेद से चार तरह का है और बाकी के उत्कृष्ट आदि तीन बंधों के सादि, अध्रुव - ये दो ही भेद हैं । आयुकर्म के उत्कृष्टादिक चार भेदों में स्थितिबंध सादि, अध्रुव - ऐसे दो प्रकार का ही है ॥152॥
संज्वलन कषाय की चौकड़ी, दसवें सूक्ष्मसांपराय की मतिज्ञानावरणादि घातिया कर्मों की 14 प्रकृतियाँ - इन 18 प्रकृतियों का अजघन्य स्थितिबंध सादि आदि के भेद से चार प्रकार का है और शेष जघन्यादि तीन भेदों के सादि, अध्रुव - ये दो ही भेद हैं । शेष प्रकृतियों के जघन्यादिक चार भेदों के सादि, अध्रुव दो भेद हैं ॥153॥