पुण्वाणं कोडितिभा-गादासंखेपअद्ध वोत्ति हवे ।
आउस्स य आबाहा ण ट्ठिदिपडिभागमाउस्स ॥158॥
अन्वयार्थ : आयुकर्म की आबाधा 1 कोटि पूर्व के तीसरे भाग से लेकर असंक्षेपाद्धा प्रमाण है । (अन्य कर्मों जैसे) आयुकर्म की आबाधा स्थिति के अनुसार भाग की हुई नहीं है ।