आवलियं आबाहा उदीरणमासिज्ज सत्तकम्माणं ।
परभवियआउगस्स य उदीरणा णत्थि णियमेण ॥159॥
अन्वयार्थ : उदीरणा की अपेक्षा से सात कर्मों की आबाधा एक आवली मात्र है और परभव की आयु जो बाँध ली है उसकी उदीरणा नियम से नहीं होती ।