
आबाहूणियकम्मट्ठिदी णिसेगो दु सत्तकम्माणं ।
आउस्स णिसेगो पुण सगट्ठिदी होदि णियमेण ॥160॥
अन्वयार्थ : अपनी-अपनी कर्मों की स्थिति में आबाधा का काल घटाने से जो काल शेष रहे, उतने समय प्रमाण सात कर्मों के निषेक जानना और आयुकर्म के निषेक अपनी-अपनी स्थिति प्रमाण हैं - ऐसा नियम से समझना ।