
गुडखंडसक्करामियसरिसा सत्था हु णिंबकंजीरा ।
विसहालाहलसरिसाऽसत्था हु अघादिपडिभागा ॥184॥
अन्वयार्थ : अघातिया कर्मों में प्रशस्त प्रकृतियों के शक्तिभेद गुड़, खाण्ड, शर्करा और अमृत के समान जानने । अप्रशस्त प्रकृतियों के निंब, कांजीर, विष, हलाहल के समान शक्तिभेद जानना ॥184॥