+ क्षेत्र में पुद्गल द्रव्य का परिमाण -
एयाणेयक्खेत्तट्ठियरूविअणंतिमं हवे जोग्गं ।
अवसेसं तु अजोग्गं सादि अणादी हवे तत्थ ॥187॥
अन्वयार्थ : एक तथा अनेक क्षेत्रों में ठहरा हुआ जो पुद्गलद्रव्य उसके अनंतवें भाग पुद्गल परमाणुओं का समूह कर्मरूप होने योग्य है और शेष (अनंत बहुभाग प्रमाण) द्रव्य कर्मरूप होने के अयोग्य है । सभी (चारों) भेदों में सादि द्रव्य व अनादि द्रव्य जानना ॥187॥