+ योग्य और अयोग्य द्रव्य का परिमाण -
जेट्ठे समयपबद्धे अतीदकाले हदेण सव्वेण ।
जीवेण हदे सव्वं सादी होदित्ति णिद्दिट्ठं ॥188॥
अन्वयार्थ : (उत्कृष्ट योगों के परिणमन से उत्पन्न) जो उत्कृष्ट समयप्रबद्ध प्रमाण को अतीत काल के समयों से गुणा करें । फिर जो प्रमाण आवे उसे सब जीवराशि से गुणा करने पर सब जीवों के सादि द्रव्य का प्रमाण होता है ॥188॥