
सगसगसादिविहीणे जोग्गाजोग्गे य होदि णियमेण ।
जोग्गाजोग्गाणं पुण अणादिदव्वाण परिमाणं ॥190॥
अन्वयार्थ : अपने-अपने क्षेत्र स्थित योग्य और अयोग्य द्रव्य में से सादि योग्य और सादि अयोग्य द्रव्य को कम करने से अपना-अपना अनादि योग्य और अनादि अयोग्य द्रव्य का परिमाण होता है ॥190॥