+ उत्तर प्रकृतियों में बँटवारे का क्रम -
सव्वावरणं दव्वं अणंतभागो दु मूलपयडीणं ।
सेसा अणंतभागा देसावरणं हवे दव्वं ॥197॥
अन्वयार्थ : ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय - इन तीन मूल प्रकृतियों के अपने-अपने द्रव्य में यथायोग्य अनंत का भाग देने से एक भाग सर्वघाति का द्रव्य होता है और शेष अनंत बहुभाग प्रमाण द्रव्य देशघाति प्रकृतियों का है ॥197॥