+ योगस्थान में वर्गणादि का प्रमाण -
इगिठाणफड्ढयाओ वग्गणसंखा पदेसगुणहाणी ।
सेढिअसंखेज्जदिमा असंखलोगा हु अविभागा ॥227॥
अन्वयार्थ : एक योगस्थान में सब स्पर्धक, सब वर्गणाओं की संख्या और गुणहानि-आयाम का प्रमाण सामान्यपने से जगतश्रेणी के असंख्यातवें भाग मात्र है । एक योगस्थान में अविभाग-प्रतिच्छेद असंख्यातलोक प्रमाण होते हैं ॥227॥
योगस्थान में वर्गणादि का प्रमाण
प्रमाण
एक योगस्थान में सर्व (नाना) गुणहानि पल्य / असं. उत्तरोत्तर असं. गुणा-असं. गुणा अधिक
सर्व स्पर्धक = नाना गुणहानि * एक गुणहानि के स्पर्धकों का प्रमाण
= (पल्य / असं.) * (जगतश्रेणी / असं.)
= जगतश्रेणी / असं.
सर्व वर्गणा = एक योगस्थान के स्पर्धक * एक स्पर्धक की वर्गणा का प्रमाण
= (जगतश्रेणी / असं.) * (जगतश्रेणी / असं.)
= जगतश्रेणी / असं.
सर्व अविभाग प्रतिच्छेद = असंख्यातलोक
(कर्म परमाणुओं के प्रमाणवत् या जघन्यज्ञान के प्रमाणवत् अनंत नहीं)
असं. प्रदेशों में गुणहानि आयाम = एक गुणहानि में वर्गणा का प्रमाण
= जगतश्रेणी / असं.