+ कषाय के भेद -
अणमप्पच्चक्खाणं पच्चक्खाणं तहेव संजलणं ।
कोहो माणो माया लोहो सोलस कसायेदे ॥५॥
अनमप्रत्याख्यान: प्रत्याख्यान: तथैव संज्वलन: ।
क्रोधो मानो माया लोभ: षोडश कषाया एते ॥
हास्यं रति: अरति: शोक: भयं जुगुप्सा च स्त्री-पुंवेदौ ।
षंढो वेद: च तथा नवैते नोकषायाश्च ॥
अन्वयार्थ : अनंतानुबंधी, अप्रत्याख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण, संज्वलन इन चारों के क्रोध, मान, माया, लोभ के भेद से कषाय के १६ भेद होते हैं ॥५॥
एवं हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद ये नव नोकषायें मिलकर कषाय के २५ भेद होते हैं ॥६॥