+ गुणस्थान में नहीं होने वाले आस्रव -
मिच्छे हारदु सासणसम्मे मिच्छत्तपंचकं णत्थि ।
अण दो मिस्सं कम्मं मिस्से ण चउत्थए सुणह ॥१२॥
मिथ्यात्वे आहारकद्विकं सासादनसम्यक्त्वे मिथ्यात्वपंचकं नास्ति ।
अन: द्वे मिश्रे कर्म मिश्रे न चतुर्थे शृणुत ॥
अन्वयार्थ : मिथ्यात्व में आहारक योग, आहारकमिश्र नहीं हैं, सासादन सम्यक्त्व में पाँच मिथ्यात्व नहीं हैं, मिश्र गुणस्थान में अनंतानुबंधी ४, औदारिकमिश्र, वैक्रियकमिश्र, कार्मण ये ७ आस्रव नहीं हैं, अब चौथे गुणस्थान में सुनो ॥१२॥