मिच्छे पणमिच्छत्तं साणे अणचारि मिस्सगे सुण्णं ।
अयदे विदियकसाया तसवह वेगुव्वजुगलछिदी ॥१५॥
मिथ्यात्वे पंचमिथ्यात्वं, साने अनचतुष्कं मिश्रके, शून्यं, ।
अयते द्वितीयकषाया: त्रसवधवैक्रियिकयुगलच्छित्ति: ॥
अन्वयार्थ : मिथ्यात्व गुणस्थान में ५ मिथ्यात्व की व्युच्छित्ति होती है । सासादन में अनंतानुबंधी चार की, मिश्र में शून्य, चतुर्थ गुणस्थान में अप्रत्याख्यानावरण कषाय ४, त्रसवध, वैक्रियक, वैक्रियकमिश्र इन ७ की व्युच्छित्ति होती है ॥१५॥