+ गुणस्थानों में योग -
तिसु तेरं दस मिस्से सत्तसु णव छट्ठयम्मि एक्कारा ।
जोगिम्हि सत्तजोगा अजोगिठाणं हवे सुण्णं ॥२२॥
त्रिषु त्रयोदश दश मिश्रे सप्तसु नव षष्ठे एकादश ।
योगिनि सप्तयोगा अयोगिस्थानं भवेच्छून्यं ॥
अन्वयार्थ : तीन गुणस्थानों में १३-१३, मिश्र में १०, सात गुणस्थानों में ९-९ एवं छठे में ११, सयोगी में ७, अयोगी में शून्य होते हैं अर्थात् प्रथम गुणस्थान में १३, द्वितीय में १३, तृतीय में १०, चतुर्थ में १३, पंचम में ९, छठे में ११, सातवें में ९, आठवें में ९, नवमें में ९, दसवें में ९, ग्यारहवें में ९, बारहवें में ९, तेरहवें में ७ और चौदहवें में शून्य है ॥२२॥