+ देवगति के आस्रव -
देवे हारोरालियजुगलं संढं च णत्थि तत्थेव ।
देवाणं देवीणं णेवित्थी णेव पुंवेदो ॥३२॥
देवेषु आहारकौदारिकयुगले षंढं च नास्ति तत्रैव ।
देवानां देवीनां नैव स्त्री नैव पुंवेद:॥
अन्वयार्थ : देवों में आहारक युगल, औदारिक युगल और नपुंसक वेद ऐसे ५ नहीं होने से ५२ आस्रव होते हैं । मात्र देवों में स्त्रीवेद और देवियों में पुरुषवेद नहीं है ॥३२॥