एयक्खे जे उत्ता ते कमसो अंतभासरसणेहिं ।
घाणेण य चक्खूहिं य जुत्ता वियलिंदिए णेया ॥३६॥
एकाक्षे ये उक्तास्ते क्रमश: अन्तभा२षारसनाभ्यां ।
घ्राणेन च चक्षुर्भ्यां च युक्ता विकलेन्द्रिये ज्ञातव्या: ॥
अन्वयार्थ : दो इंद्रिय जीवों में इन्हीं ३८ में अनुभय वचनयोग और रसना इंद्रिय मिलाने से ४० आस्रव होते हैं ऐसे ही तीन इंद्रिय जीवों में घ्राण इंद्रिय मिलाने से ४१ हुये, चतुरिन्द्रिय में एक चक्षु इंद्रिय मिलाने से ४२ हुये, ऐसे समझना चाहिए ॥३६॥